Bharat Mein Kitne Highcourt Hai, हाईकोर्ट के विषय में पूरी जानकारी

भारत में उच्च न्यायालय उच्चतम न्यायालय से नीचे, परंतु अधीनस्थ न्यायालय के ऊपर कार्य करता है राज्य के न्यायिक प्रशासन में उच्च न्यायालय की स्थिति सर्वोपरि होती है यह राष्ट्र की न्यायपालिका में एक उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय का एक पद सोपान होता है 1862 ईस्वी में भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान तीन प्रेसीडेंसीयाॅ- कोलकाता, बम्बई, मद्रास में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई, देश में चौथे प्रांत के रूप में इलाहाबाद में 1866 ईस्वी में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई और यही आगे चलकर ब्रिटिश प्रांत 1950 ई के बाद प्रांत के उच्च न्यायालय राज्यक्षेत्र के उच्च न्यायालय बन गए Bharat Mein Kitne Highcourt Hai, हाईकोर्ट के विषय में पूरी जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें

Bharat Mein Kitne Highcourt Hai, हाईकोर्ट के विषय में पूरी जानकारी
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Bharat Mein Kitne Highcourt Hai

भारत में वर्तमान समय में 25 उच्च न्यायालय हैं इनमें से चार सझा प्रकार के उच्च न्यायालय हैं केवल दिल्ली ही एक ऐसा संघ शासित प्रदेश है जिसका अपना उच्च न्यायालय है अन्य संघ राज्य क्षेत्र विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालय के न्यायिक क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं ।

भारत के संविधान में प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई है परंतु सातवें संविधान संशोधन अधिनियम 1956 में संसद को यह अधिकार दिया गया है कि दो या दो से अधिक राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्र के लिए एक सझा उच्च न्यायालय की स्थापना हो सकती है ।

संसद को, एक उच्च न्यायालय के न्याया क्षेत्र का विस्तार अथवा किसी संघ राज्य क्षेत्र को एक उच्च न्यायालय के न्यायिक क्षेत्र से बाहर कर सकती है ।

Bharat Mein Kitne Highcourt Hai :- 

उच्च न्यायालय का संगठन

देश के अंदर प्रत्येक उच्च न्यायालय चाहे न्यायिक क्षेत्र केवल राज्य के लिए हो या संघ शासित प्रदेशों का न्यायिक क्षेत्र शामिल हो एक मुख्य न्यायाधीश के साथ आवश्यकता अनुसार अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है ।

99वें संविधान संशोधन अधिनियम 2014 तथा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग 2014 द्वारा सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रचालित कॉलेजियम सिस्टम को नए निकाय के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था परंतु 2015 में पुनः कॉलेजियम सिस्टम लागू कर दिया गया जो यथावत बना हुआ है। 

नियुक्ति की विधि (Bharat Mein Kitne Highcourt Hai)

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा स्वयं न्यायपालिका के सदस्य अर्थात भारत के मुख्य न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से की जाती है, यह उपबंध कार्यपालिका के पूर्णता विवेकाधीन में कमी करने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि न्यायिक नियुक्तियों में राजनीतिक अथवा व्यावहारिक पक्षपात न हो ।

न्यायाधीशों की योग्यताएं ( Qualification of High Court Judge In India)

  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्तिकारण के लिए व्यक्ति की पास निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए जैसे-
  • वह भारत का नागरिक हो
  • भारत के न्यायिक कार्य में 10 वर्ष का अनुभव हो या वह उच्च न्यायालय या न्यायालय में लगातार 10 वर्ष तक अधिवक्ता रह चुका

शपथ अथवा प्रतिज्ञा

  • जिस व्यक्ति को Highcourt का न्यायाधीश नियुक्त किया गया है पद संभालने से पहले उसे संबंधित राज्य के राज्यपाल के द्वारा या इस कार्य नियुक्त किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा शपथ प्रतिज्ञा कराया जाता है
  • भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा पालन करेगा
  • भारत की प्रभुता और अखंडता का अक्षुण रखेगा
  • सम्यक प्रकार और श्रद्धा पूर्वक अपनी पूरी योग्यता ज्ञान और विवेक से अपने पद के कर्तव्यों का भय अथवा पक्षपात अनुराग या द्वेश के बिना पालन करेगा
  • संविधान और विधि की मर्यादा बनाए रखेगा

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल

भारतीय संविधान में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल निर्धारण नहीं किया गया है परंतु इस विषय में चार महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं

  1. 62 वर्ष की आयु तक पद पर रहता है उसकी आयु के संबंध में किसी प्रश्न का निर्णय राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श से करता है इस संबंध में राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम होगा ।
  2. वह राष्ट्रपति को त्यागपत्र भेज सकता है
  3. संसद की सिफारिश से राष्ट्रपति उसे पद से हटा सकता है
  4. उसकी नियुक्ति उच्चतम न्यायालय के में न्यायाधीश के रूप में हो जाने पर या उसका किसी दूसरे उच्च न्यायालय में स्थानांतरण हो जाने पर वह पद छोड़ देता है ।

उच्च न्यायालय का न्यायिक क्षेत्राधिकार

संविधान में उच्च न्यायालय की शक्ति एवं क्षेत्राधिकार के बारे में निम्नलिखित विषय बताए गए हैं

प्रारंभिक क्षेत्राधिकार 

  • प्रारंभिक क्षेत्राधिकार के अंतर्गत अधिकारिता का मामला वसीयता विवाह तलाक कंपनी कानून एवं न्यायालय की अवमानना
  • संसद सदस्य और राज्य विधान मंडल सदस्य के निर्वाचन संबंधी विवाद
  • राजस्व मामले या राजस्व संग्रहण के लिए बनाए गए किसी अधिनियम अथवा आदेश के संबंध में
  • नागरिकों के मूल अधिकारों का परावर्तन
  • संविधान की व्याख्या के संबंध में अधीनस्थ न्यायालय की स्थानांतरित मामले में उच्च महल के मामलों में
  • चार उच्च न्यायालय कोलकाता, मुंबई, मद्रास और दिल्ली उच्च न्यायालय के मूल नागरिक क्षेत्राधिकार हैं ।

रिट क्षेत्राधिकार :-  संविधान के अनुच्छेद 226 एक उच्च न्यायालय को नागरिकों के मूल अधिकारों के परावर्तन और अन्य किसी उद्देश्य के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण,  परमादेश, उत्प्रेषण, प्रतिषेध एवं अधिकार पृक्षा किसी अन्य उद्देश्य के लिए पद का अर्थ एवं सामान्य कानूनी अधिकार का परिवर्तन राज्य क्षेत्र की सीमाओं के अंदर बल्कि इसके बाहर भी ऐसा न्यायाधीश दे सकता है

अपीलीय क्षेत्राधिकार :-  इसके अंतर्गत दीवानी मामले, आपराधिक मामले की सुनवाई की जाती है ।

उच्च न्यायालय को इस बात का अधिकार है कि वह अपने क्षेत्राधिकार के सभी न्यायालय व सहायक न्यायालय के क्रियाकलापों पर नजर रखें, अपवाद स्वरूप सैन्य न्यायालय और अभिकरणों के मामले से परे है

अधीनस्थ न्यायालय पर नियंत्रण :- अधीनस्थ न्यायालय पर एक उच्च न्यायालय के अभिलेख न्याय क्षेत्र एवं पर्यवेक्षण अधिकारों जिनके ऊपर उल्लेख किया गया है के अलावा प्रशासनिक नियंत्रण और अन्य शक्तियाँ रहती हैं

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उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का वेतन( High Court Judge Salary)

  • उच्च न्यायालय (Highcourt) के न्यायाधीशों को कार्यकाल की सुरक्षा प्रदान की जाती है।
  • उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का वेतन 2,50000₹ रुपए प्रतिमाह होता है
  • उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की सैलरी 2,25000₹ प्रतिमाह होती है
  • अन्य सेवा शर्तों के रूप में 2,00000₹ तक अतिरिक्त सुविधाएं प्रदान की जाती हैं
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन, भत्ते विशेषाधिकारों अवकाश और पेंशन का निर्धारण समय पर संसद द्वारा किया जाता है
  • लेकिन उनकी नियुक्ति के बाद वित्तीय आपातकाल में इसमें कमी नहीं की जा सकती इस तरह उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवाशर्तें उनके कार्यकाल तक यथावत रहती हैं
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Bharat Mein Kitne Highcourt Hai : 

वर्तमान में भारत में 25 हाई कोर्ट कार्यरत है जो निम्लिखित है 

क्रमांक उच्च न्यायालय क्षेत्र स्थापना वर्ष न्यायालय क्षेत्र
1 इलाहाबाद उच्च न्यायालय 17 मार्च 1866 उत्तर प्रदेश सीट: इलाहाबादबेंच: लखनऊ
2 आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय 1 जनवरी 2019 आंध्र प्रदेश: अमरावती
3 बंबई उच्च न्यायालय 14 अगस्त 1862 गोवा, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, महाराष्ट्र: बॉम्बेबेंच: औरंगाबाद, नागपुर, पणजी
4 कलकत्ता उच्च न्यायालय 1 जुलाई 1862 अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल: कलकत्ताबेंच: पोर्ट ब्लेयर, जलपाईगुड़ी
5 छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय 1 नवंबर 2000  छत्तीसगढ़ : बिलासपुर
6 दिल्ली उच्च न्यायालय 31 अक्टूबर 1966  नई दिल्ली
7 गौहाटी उच्च न्यायालय 1 मार्च 1948 अरुणाचल प्रदेश, असम, मिजोरम, नागालैंड: गुवाहाटीबेंच: आइजोल, ईटानगर, कोहिमा
8 गुजरात उच्च न्यायालय 1 मई 1960 गुजरात : अहमदाबाद
9 हिमाचल उच्च न्यायालय 25 जनवरी 1971 हिमाचल प्रदेश: शिमला
10 जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय 26 मार्च 1928 जम्मू और कश्मीर, लद्दाख: श्रीनगर/जम्मू
11 झारखण्ड उच्च न्यायालय 15 नवंबर 2000 झारखंड: रांची
12 कर्नाटक उच्च न्यायालय 1884 कर्नाटक: बेंगलुरुबेंच: धारवाड़, कलबुर्गी
13 केरल उच्च न्यायालय 1 नवंबर 1956  केरल, लक्षद्वीप: कोच्चि
14 मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय 2 जनवरी 1936 मध्य प्रदेश : जबलपुरबेंच: ग्वालियर, इंदौर
15 मद्रास उच्च न्यायालय 15 अगस्त 1862 तमिलनाडु, पुडुचेरी: मद्रासबेंच: मदुरै
16 मणिपुर उच्च न्यायालय 25 मार्च 2013  मणिपुर: इंफाल
17 मेघालय उच्च न्यायालय 23 मार्च 2013  मेघालय: शिलांग
18 उड़ीसा उच्च न्यायालय 3 अप्रैल 1948  उड़ीसा: कटक
19 पटना उच्च न्यायालय 2 सितंबर 1916 बिहार : पटना
20 राजस्थान उच्च न्यायालय 15 अगस्त 1947 चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब, 
21 सिक्किम उच्च न्यायालय 16 मई 1975  सिक्किम , गंगटोक
22 तेलंगाना उच्च न्यायालय 1 जनवरी 2019  तेलंगाना , हैदराबाद
23 त्रिपुरा उच्च न्यायालय 26 मार्च 2013  त्रिपुरासीट: अगरतला
24 पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय 15 अगस्त 1947  चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़

25

उत्तराखंड उच्च न्यायालय 9 नवंबर 2000  उत्तराखंड , नैनीताल

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