Municipalities Meaning In Hindi: नगर निगम क्या है, कार्य, सदस्य योग्यताएं, कार्यकाल

Municipalities Meaning In Hindi: नगरी शासन की प्रणाली को 74वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के तहत संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया इस अधिनियम ने भारत के संविधान में नया भाग-9’क’ शामिल किया गया इसे नगरपालिका नाम दिया गया (अनुच्छेद-243 P – 243 ZD) के उपरांत शामिल किए गए इस अधिनियम के कारण संविधान में एक नई 12वीं अनुसची भी जोड़ा गया इस सूची में नगरपालिकाओं की 18 कार्यकारी विषय वस्तुओं का उल्लेख है यह अनुच्छेद 243’W’ से संबंधित है इस अधिनियम ने नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया राज्य सरकार अधिनियम के प्रावधान के अनुसार नई नगर पालिका पद्धत को अपनाने के लिए संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया Municipalities Meaning In Hindi: नगर निगम क्या है कार्य, सदस्य योग्यताएं, कार्यकाल पूरी जानकारी साझा किया जायेगा आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़ें –

Municipalities Meaning In Hindi: नगर निगम क्या है, कार्य, सदस्य योग्यताएं, कार्यकाल
Municipalities Meaning In Hindi: नगर निगम क्या है, कार्य, सदस्य योग्यताएं, कार्यकाल

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Municipalities Meaning In Hindi: नगर निगम क्या है

भारत में शहरी स्थानीय शासन का अर्थ शहरी क्षेत्र के लोगों द्वारा चुने प्रतिनिधियों से बनी सरकार से है शहरी स्थानीय शासन का अधिकार क्षेत्र उन निर्दिष्ट शहरी क्षेत्रों तक सीमित है जिसे राज्य सरकार द्वारा इस उद्देश्य के लिए निर्धारित किया है

भारत में आठ प्रकार के (Municipalities In India) शहरी स्थानीय स्वशासन हैं

  1. नगर निगम
  2. नगरपालिका
  3. अधिसूचित क्षेत्र समिति
  4. नगरीय क्षेत्र समिति 
  5. छावनी बोर्ड
  6. टाउनशिप
  7. पत्तन न्याय 
  8. विशेष उद्देश्य के लिए गठित एजेंसी

इस अधिनियम का उद्देश्य शहरी शासन को पुनर्जीवित करना एवं शक्तिशाली बनाना है जिससे कि वह स्थानीय शासन की इकाई के रूप में प्रभावशाली ढंग से कार्य करें निम्नलिखित तीन प्रकार की नगर पालिकाएं या अधिनियम प्रत्येक राज्य में निम्न तीन तरह की नगर पालिकाओं (Types of Municipalities) की संरचना का उपबंध करता है

(क) नगर पंचायत: किसी भी नाम से परिवर्तित क्षेत्र के लिए जैसे वह क्षेत्र जो ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में परिवर्तित हो रहा हो

(ख) नगर पालिका: परिषद छोटे शहरी क्षेत्र के लिए

(ग) नगरपालिका निगम: बड़े शहरों के लिए

What are municipalities: संरचना

नगरपालिका के सभी सदस्य सीधे नगर पालिका क्षेत्र के लोगों द्वारा चुने जाते हैं, इस उद्देश्य के लिए प्रत्येक नगर पालिकाओं को निर्वाचन क्षेत्र वार्ड में बांटा जाएगा राज्य विधानमंडल नगर पालिका के अध्यक्ष के निर्वाचन का तरीका प्रदान कर सकता है यह नगर पालिका में निम्न व्यक्तियों के प्रतिनिधित्व की भी व्यवस्था करता है ।

  • वह व्यक्ति जिसे नगर पालिका के प्रशासन का एक विशेष ज्ञान अथवा अनुभव हो लेकिन उसे नगर पालिका की सभा में वोट डालने का अधिकार नहीं होगा
  • निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा या राज्यसभा के सदस्य जिम नगर पालिका का पूर्ण या अन्य क्षेत्र आता हो
  • राज्यसभा और राज्य विधान परिषद के सदस्य जो नगर पालिका क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत हों 
  • समिति के अध्यक्ष वार्ड समितियां के अतिरिक्त

वार्ड समितियां :-

  • 3 लाख या अधिक जनसंख्या वाली नगरपालिका के क्षेत्र के तहत एक या अधिक वार्ड को मिलाकर वार्ड समिति होगी
  • वार्ड समिति की संरचना क्षेत्र और वार्ड समिति के पदों को भरने के संबंध में राज विधानमंडल उपबंध बन सकता है
  • यह वार्ड समिति के साथ-साथ समिति की बनावट के लिए भी उपबंध बन सकता है

Municipalities: पदों का आरक्षण :-

  1. यह अधिनियम अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को उनकी जनसंख्या और कुल नगर पालिका क्षेत्र की जनसंख्या के अनुपात में प्रत्येक नगर पालिका में आरक्षण प्रदान करता है
  2. इसके अलावा यह महिलाओं को कुल सीटों के एक तिहाई इसमें अनुसूचित जाति वह जनजाति महिलाओं से संबंधित आरक्षण सीट भी हैं,  सीटों पर आरक्षण प्रदान करता है
  3. राज्य विधान मंडल अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और महिलाओं हेतु नगर पालिकाओं के अध्यक्ष पद के आरक्षण हेतु विधि निर्धारण कर सकता है या
  4. किसी भी नगर पालिका या अध्यक्ष पद पर पिछड़ी जातियों के आरक्षण के समर्थन में कोई भी उपबंध बना सकता है।

नगरपालिकाओं का कार्यकाल (Duration of Municipalities)

  • यह अधिनियम प्रत्येक नगरपालिका की कार्य कार्यकाल अवधि 5 वर्ष निर्धारित करता है
  • यदि पीछे इसकी अवधि से पूर्व समाप्त किया जा सकता है इसके बाद एक नई नगर पालिका का गठन किया जाएगा
  • इसकी 5 वर्ष की अवधि समाप्त होने से पूर्व या विघटित होने की दशा में इसे विघटित होने की तिथि से 6 महीने की अवधि तक समय से पहले भंग होने के पश्चात पुन: संगठित नगर पालिका 5 वर्ष की पूर्ण अवधि तक के लिए नहीं बना रहेगा बल्कि केवल बची हुई अवधि के लिए ही कार्य करेगा

नगरपालिका के लिए योग्यताएं

चुने जाने पर या नगरपालिका के चुने हुए सदस्य निम्न स्थितियों में, योग्य घोषित किया जा सकते हैं

  • संबंधित राज्य के विधान मंडल के निर्वाचन के प्रयोजन हेतु प्रचलित किसी विधि के अंतर्गत राज्य विधान द्वारा बनाई गई किसी विधि के अंतर्गत,
  • फिर भी किसी व्यक्ति को 25 वर्ष से कम आयु की शर्त पर अयोग्य नहीं माना जाएगा
  • यदि 21 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो उसके बाद निर्भरता सम्बंधित सारे विवाद राज्य विधान द्वारा नियुक्त अधिकारियों के समक्ष ही प्रस्तुत किए जा सकेंगे

नगर पालिका के कार्य क्षेत्र के 18 विषय वस्तु :- 

  1. नगरीय योजना जिसमें नगर की योजना भी है
  2. भूमि उपयोग का विनियमन और भवनों का निर्माण
  3. आर्थिक एवं सामाजिक विकास योजना
  4. सड़क एवं पुल 
  5. घरेलू औद्योगिक एवं वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए जल प्रदाय
  6. लोक स्वास्थ्य, स्वच्छता, सफाई और कूड़ा करकट प्रबंधन
  7. अग्नि समन सेवाएं
  8. नगर वानिकी पर्यावरण संरक्षण में स्थिति की आयाम की अभिवृद्धि
  9. समाज के कमजोर वर्गों के हितों का संरक्षण जिनमें मानसिक रोगी व विकलांग शामिल है | 
  10. गांधी वस्ति सुधार और प्रौन्नति 
  11. नगरी निर्धनता उन्मूलन
  12. नगरी सुख सुविधाओं और सुविधाओं जैसे पार्क उद्यान खेल के मैदान की व्यवस्था
  13. संस्कृति शैक्षिक व सौंदर्य पक्ष आयामों की अभिवृद्धि
  14. शव गणना तथा शवदाह, दाहक्रिया व श्मशान और विद्युत शवदाहगृह
  15. कांजी हाउस : पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण
  16. जन्म व मृत्यु से संबंधित महत्वपूर्ण सांख्यिकी
  17. जन सुविधा जिनमे मार्गों पर विद्युत व्यवस्था पार्किंग स्थल बस स्टैंड और जन सुविधा सम्मिलित हैं |
  18. वेधशालाओं और चर्म शोधनशाखाओ का विनियमन |

नगर निगम के विषय में विस्तार से पढ़ें :-विकिपीडिया लिंक

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