भारत में पंचायती राज शब्द का अभिप्राय ग्रामीण स्थानीय स्वशासन पद्धति से है यह भारत के सभी राज्यों में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र के निर्माण के लिए राज्य विधानसभाओं के द्वारा स्थापित किया गया है इसे ग्रामीण विकास का दायित्व सौंपा गाया है 1992 में 73वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम के द्वारा संविधान में जोड़ा गया Panchayati Raj System भारतीय संविधान के (अनुच्छेद:- 243-243″ण”) तक प्रावधान किया गया है तथा भारतीय संविधान के 9वें भाग, 11वीं अनुसूची में समाहित किया गया है पंचायत की 29 कार्यकारी विषय निर्धारण कर दिया गया है जो अग्रलिखित है इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें |
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पंचायती राज व्यवस्था ( Panchayati Raj System In India) :-
- बलवंत राय मेहता समिति के अध्यक्ष बलवंत राय मेहता थे समिति ने नवंबर 1957 ई को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किया और लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण अर्थात स्वायत्तता की योजना की सिफारिश प्रस्तुत की अंतिम रूप से पंचायती राज के रूप में जाना गया |
- त्रिस्तरीय पंचायती राज पद्धति की स्थापना ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति और जिला स्तर पर जिला परिषद यह दो स्तर आपस में अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव द्वारा गठित किए जाते है
- ग्राम पंचायत की स्थापना प्रत्यक्ष रूप से चुने प्रतिनिधियों द्वारा होता है जबकि पंचायत समिति और जिला परिषद का गठन अप्रत्यक्ष रूप से चुने हुए सदस्यों के माध्यम से होता है
- समिति की सिफारिश जनवरी 1958 ईस्वी में स्वीकार किया गया |
- देश का पहला Panchayati Raj System (2 अक्टूबर 1959 ई) को राजस्थान के नागौर जिले में तत्काल प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा स्थापित किया गया
- इसके बाद आंध्र प्रदेश ने इस योजना को 1959 ईस्वी में लागू किया इसके बाद अधिकांश राज्यों में Panchayati Raj System योजना का प्रारंभ किया गया
पंचायती राज विकास (Panchayati Raj Department) के 29 विषय वस्तु :-
भारतीय संविधान के अनुसूची-11 के अनुसार के लिए Panchayati Raj के 29 विषय इस प्रकार हैं
- कृषि इसके अंतर्गत कृषि विस्तार सम्मिलित है
- भूमि विकास, भूमि सुधार लागू करना भूमि संगठन एवं भूमि का संरक्षण करना |
- लघु सिंचाई, जल प्रबंधन और नदियों के मध्य भूमि का विकास करना |
- पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय अथवा मत्स्य पालन |
- पारिवारिक समृद्धि
- महिला एवं बाल विकास
- सामाजिक समृद्धि जिसमें विकलांग व मानसिक रोगी की समृद्धि शामिल होना चाहिए
- कमजोर वर्ग की समृद्धि जिसमें विशेष कर अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति शामिल हों
- लोक विभाजन पद्धति
- सार्वजनिक संपत्ति की देखभाल
- मत्स्य उद्योग
- पुस्तकालय
- सांस्कृतिक कार्य
- बाजार एवं मेले
- स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं, अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा दवा खाने शामिल हैं
- गैर परंपरागत ऊर्जा
- गरीबी रोग उन्मूलन कार्यक्रम गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
- वयस्क एवं आवश्यक औपचारिक शिक्षा
- प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा संबंधी विद्यालय
- यांत्रिक प्रशिक्षण एवं व्यवसायिक शिक्षा
- वन जीवन तथा कृषि खेती
- लघु उद्योग जिसमें खाद्य उद्योग शामिल है
- लघु वन की उत्पत्ति
- खादी ग्राम एवं कुटीर उद्योग
- ग्रामीण विकास
- पीने वाला पानी
- ईंधन तथा पशु चारा
- सड़के फूलों तक जलमार्ग एवं अन्य संचार के साधन
- ग्रामीण विद्युत जिसमें विद्युत विभाजन समाहित है
पंचायती राज की प्रमुख विशेषताएं :-
- भारतीय संविधान के 73वा संविधान संशोधन 1992 के अनुसार संविधान के भाग-9 में “पंचायतें” शब्द का उल्लेख किया गया है और “अनुच्छेद 243- 243 O” के मध्य पंचायती राज व्यवस्था को विस्तारित किया गया है भारतीय संविधान के अनुसूची 11 में, विषय को जोड़ा गया है जिसके अंतर्गत 29 विषयों का उल्लेख किया गया है
- इसी अधिनियम के अनुसार संविधान के अनुच्छेद-40 को एक व्यावहारिक रूप दिया गया है जिसमें ग्राम पंचायत को गठित करने के लिए राज्य कदम उठाएगी और उन्हें आवश्यक शक्तियां प्रदान करें करेगा
- अनुच्छेद 40 राज्य के नीति नीति निर्देशक सिद्धांतों का एक हिस्सा है
ग्राम सभा :-
- यह अधिनियम पंचायत राज के ग्राम सभा का प्रावधान करता है इस निकाय में ग्राम स्तर पर गठित पंचायत क्षेत्र में निर्वाचन सूची में पंजीकृत व्यक्त होते हैं इस कार्य को अंतिम रूप से विधानमंडल द्वारा निर्धारित किया जाता है |
त्रिस्तरीय प्रणाली :-
इस अधिनियम के अंतर्गत सभी राज्य में तिरस्त्रीय प्रणाली का प्रावधान किया गया है ग्राम माध्यमिक और जिला स्तर पर पंचायत अधिनियम पूरे देश में Panchayati Raj System की संरचना में समरूपता स्थापित करता है |
- गांव माध्यमिक तथा जिला स्तर पर पंचायत के सभी सदस्य लोगों द्वारा सीधे चुने जाएंगे इसके अलावा माध्यमिक एवं जिला स्तर पर पंचायत के अध्यक्ष का चुनाव निर्वाचित सदस्यों द्वारा उन्ही में से अप्रत्यक्ष रूप से होगा जबकि ग्राम स्तर पर पंचायत के अध्यक्ष का चुनाव राज्य के विधानमंडल द्वारा निर्धारित तारीख पर संपन्न होगा |
सीटों का आरक्षण :-
- यह अधिनियम प्रत्येक पंचायत मैं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को उनकी संख्या के कुल जनसंख्या के अनुपात में सीटों का आरक्षण प्रदान करता है राज्य विधानमंडल गांव या पंचायत में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए अध्यक्ष के पद के लिए आरक्षण प्रदान करता है महत्वपूर्ण बात यह है कि एक तिहाई सीटे महिला वर्ग आरक्षित हैं |
पंचायत का कार्यकाल :-
- सभी स्तरों पर पंचायत का कार्यकाल 5 वर्ष के लिए निश्चित करता है तथा समय पूरा होने से पूर्व भी उसे विघटित किया जा सकता है इसके बाद गठन के लिए नए चुनाव होंगे
- 5 वर्ष की अवधि खत्म होने से पूर्व विघटित होने की दशा में विकसित होने की तिथि से 6 महीने के अंदर ही चुनाव होना चाहिए
- यदि कार्यकाल समाप्ति से 6 माह से कम समय बचा है तो बचे अवधि के लिए नया पंचायत का चुनाव आवश्यक नहीं होगा |
- और भंग पंचायत का चुनाव किया जाता है वहां शेष समय तक ही कार्य करती है |
भारतीय संविधान की प्रस्तावना क्या है
पंचायती राज पर अन्य महत्वपूर्ण समितियां :-
1960 ई से पंचायती राज की कार्यप्रणाली के विविध पशुओं का अध्ययन करने के लिए अनेक अध्ययन दल अथवा समितियां कार्य दल के रूप में नियुक्त किए गए थे जैसे
- अशोक मेहता समिति (1977)
- जी.वी.के. राव समिति (1985)
- एल.एम. सिंघवी समिति (1986)
- थुंगोन समिति
- गाडगिल समिति
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FAQ :-
Q. पंचायती राज दिवस कब मनाया जाता है?
Ans- देश भर में “24 अप्रैल” को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है
Q. राष्ट्रीय पंचायत दिवस 2023 का विषय क्या है?
Ans- टिकाऊ पंचायत – स्वस्थ, जल पर्याप्त, स्वच्छ और हरित गांवों का निर्माण’ है
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