Election Commission of India: भारत का निर्वाचन आयोग (हिंदी में)

Election Commission of India: भारत का निर्वाचन आयोग एक स्थाई अथवा स्वतंत्र निकाय है इसका गठन भारत के संविधान द्वारा देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के उद्देश्य से किया गया था भारतीय संविधान के अनुच्छेद-324 के अनुसार सांसद, राज्य विधानमंडल, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन के लिए संचालन अथवा दिशा-निर्देश व नियंत्रण की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है |

चुनाव आयोग एक अखिल भारतीय संस्था है क्योंकि यह केंद्र व राज्य सरकार दोनों के लिए समान है, हालांकि राज्य में होने वाले पंचायत व नगर निगम चुनाव से चुनाव आयोग का कोई संबंध नहीं है इसके लिए भारत के संविधान में अलग राज्य निर्वाचन अयोगी की व्यवस्था की गई है |

Election Commission of India: भारत का निर्वाचन आयोग
Election Commission of India: भारत का निर्वाचन आयोग

भारत का निर्वाचन आयोग(Election Commission of India in Hindi)

  • 1950 से 1989 तक निर्वाचन आयोग एक सदस्य निकाय के रूप में कार्य कर रहा था जिसमें केवल मुख्य निर्वाचन अधिकारी होता था मत देने की न्यूनतम आयु 21 वर्ष से 18 वर्ष करने के बाद 16 अक्टूबर 1989 ई को राष्ट्रपति ने आयोग के काम के भार को कम करने के लिए दो अन्य निर्वाचन आयुक्त को नियुक्त किया
  • आयोग बहु सदस्यीय संस्था के रूप में कार्य करने लगा जिसमें तीन निर्वाचन आयुक्त हैं हालांकि 1990 में दो निर्वाचन आयुक्त के पद को समाप्त कर दिया गया और स्थित एक बार पहले की तरह हो गई एक बार फिर अक्टूबर 1993 ईस्वी में दो निर्वाचन आयुक्त को नियुक्त किया गया इसके बाद से अब तक आयोग बहुसदस्यीय संस्था के तौर पर काम कर रहा है जिसमें तीन निर्वाचन आयुक्त हैं |
  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त व दो अन्य निर्वाचन आयुक्त के पास समान शक्तियां होती हैं 

निर्वाचन आयोग की संरचना (How Many Members In Election Commission of India)

Election Commission of India Article324 में चुनाव आयोग के संबंध में निम्नलिखित व्यवस्था की गई है-

  1. निर्वाचन आयोग- मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्त से मिलकर बना होता है
  2. मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाएगी
  3. जब कोई निर्वाचन आयुक्त इस प्रकार नियुक्त किया जाता है तब मुख्य निर्वाचन आयुक्त निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष के रूप में काम करेगा
  4. राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग के सलाह पर प्रादेशिक आयुक्तों की नियुक्ति कर सकता है जिसे वह निर्वाचन आयोग की सहायता के लिए आवश्यक समझे
  5. निर्वाचन आयुक्त व प्रादेशिक आयुक्तों की सेवा की शर्तों व पद अवधि राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाएगी

निर्वाचन आयुक्त की कार्य अवधि अथवा वेतन, भत्ते

मुख्य निर्वाचन आयुक्त व दो अन्य निर्वाचन आयुक्त के पास समान शक्तियां होती हैं तथा उनके वेतन भत्ते व दूसरे अनुलाभ भी एक समान होते हैं जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान होते हैं ऐसी स्थिति में जब मुख्य निर्वाचन आयुक्त व दो अन्य निर्वाचन आयुक्त के बीच विचार में मतभेद होता है तो आयोग बहुमत के आधार पर निर्णय करता है |

निर्वाचन आयुक्तों के कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक जो पहले हो तक होता है वह किसी भी समय त्यागपत्र दे सकते हैं या उन्हें कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व भी हटाया जा सकता है |

निर्वाचन आयोग के कार्य अथवा शक्तियां :-

  • संसद के परिसीमन आयोग अधिनियम के आधार पर समस्त भारत के निर्वाचन क्षेत्र के भू-भाग का निर्धारण करना
  • समय-समय पर निर्वाचक नामावली तैयार करना और सभी योग्य मतदाताओं को पंजीकृत करना
  • निर्वाचन की तिथि और समय सारणी निर्धारित करना तथा नामांकन पत्रों का परीक्षण करना
  • राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना तथा उन्हें निर्वाचन चिन्ह आवंटित करना
  • राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने और चुनाव चिन्ह देने के मामले में हुए विवाद के समाधान के लिए न्यायालय की तरह काम करना
  • निर्वाचन व्यवस्था से संबंधित विवाद की जांच के लिए अधिकारी की नियुक्ति करना
  • निर्वाचन के समय राजनीतिक दलों व उम्मीदवारों के लिए आचार संहिता निर्मित करना
  • निर्वाचन के समय राजनीतिक दलों की नीतियों के प्रचार के लिए रेडियो अथवा टेलीविजन कार्यक्रम सूची निर्मित करना
  • संसद सदस्यों की निराहर्ता से संबंधित मामलों पर राष्ट्रपति को सलाह देना
  • विधानपरिषद के सदस्यों की निराहर्ता से संबंधित मामलों पर राज्यपाल को परामर्श देना
  • निर्वाचन करने के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता के बारे में राष्ट्रपति या राज्यपाल को आग्रह करना
  • राष्ट्रपति को सलाह देना कि राष्ट्रपति शासन वाले राज्य में एक वर्ष समाप्त होने के पश्चात निर्वाचन कराए जाएं या नहीं
  • निर्वाचन के मद्य नजर राजनीतिक दलों को पंजीकृत करना अथवा निर्वाचन के प्रदर्शनों के आधार पर उसे राष्ट्रपति या राज्य स्तरीय दल का दर्जा प्रदान करना

निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता

भारतीय संविधान के (अनुच्छेद-324) के तहत (Chief election Commission of India) अपने निर्धारित पदावधि में काम करने की सुरक्षा है मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से इस रीति से वह इस आधार पर ही हटाया जा सकता है जिस रीति अथवा आधार पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है 

  1. राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद पर नहीं होता है हालांकि उन्हें राष्ट्रपति ही नियुक्त करते हैं
  2. मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सेवा की शर्तों में उनकी नियुक्ति के पश्चात उनके लिए लाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता
  3. अन्य निर्वाचन आयुक्त या प्रादेशिक आयुक्त को मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है अन्यथा नहीं
  4. हालांकि निर्वाचन आयोग को स्वतंत्र वन निष्पक्ष काम करने के लिए संविधान के तहत दिशा-निर्देश दिए गए हैं लेकिन इसमें कुछ दोष भी हैं
  5. संविधान में निर्वाचन आयोग के सदस्यों की अहर्ता (विधिक, शैक्षणिक, प्रशासनिक या न्यायिक) संविधान में निर्धारित नहीं की गई है
  6. संविधान में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि निर्वाचन आयोग के सदस्यों की पदावली कितनी है
  7. संविधान में सेवानिवृत्ति के बाद निर्वाचन आयुक्त को सरकार द्वारा अन्य दूसरी नियुक्तियों पर रोक नहीं लगाई गई है

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